मैं जिंदा हूं, बेजान हूं। (अल्फ़ाज़ – ए – आकाश)
क्यों दिल में मचा है शोर?
ये सूखे मेरे होंठ क्यों है?
क्यों तूंफा है चारो ओर?
क्यों मन को कुछ भाता नहीं?
कोई अपना नज़र आता नहीं।
क्यों काले बादल छाए हैं?
क्यों बन के सजा सब आए हैं?
क्यों सूरज ढलता जा रहा,
सब ओझल होता जा रहा।
क्यों सीने में है आग लगी,
क्यों हृदय मेरा कांप रहा।
मैं तन्हा क्यों परेशान हूं?
मैं जिंदा हूं, बेजान हूं।अल्फ़ाज़ – ए – आकाश
मज़े ज़िंदगी के, लिए जा रहा हूं, (अल्फ़ाज़ – ए – आकाश)
मज़े ज़िंदगी के, लिए जा रहा हूं,
मैं हंस-हंस के ज़ख्म, सिये जा रहा हूं।
जब हंसते हैं लब तो, बहते हैं आंसू।
मैं अश्कों का अमृत, पिए जा रहा हूं।
मैं कितना हूं तन्हा, ये बताना है मुश्किल।
मैं खुद को ही कंधा, दिए जा रहा हूं।
न ही कोई महफ़िल, न ही कोई रहबर।
मैं खुद से ही बातें, किए जा रहा हूं।
मज़े ज़िंदगी के, लिए जा रहा हूं..
अल्फ़ाज़ – ए – आकाश
जिसकी चाहत थी मुझको,
वो आज मिली है। (अल्फ़ाज़ – ए – आकाश)जिसकी चाहत थी मुझको,
वो आज मिली है।
मन के कण-कण में बन गुल,
वो आज खिली है।
गूंज रही है बनकर स्वर,
वो अंतरमन में।
धड़क रही है बनकर दिल,
दिल की धड़कन में।
मैं पागल हूं उसके ख़ातिर,
अब होश नहीं है।
उससे मिलना रब की चाहत है,
कोई दोष नहीं है।
अल्फ़ाज़ – ए – आकाश
कर लिया खुद को अकेला,
न कोई शिकवा गिला। (अल्फ़ाज़ – ए – आकाश)कर लिया खुद को अकेला,
न कोई शिकवा गिला।
खुश रहो तुम खुश रहें सब,
सबको अपना सब मिला।
गर मिले ठोकर अगर तो,
इसमें कोई गम नहीं।
महफिलों में होके आखिर,
हम ही हैं जो हम नहीं।
एक दिन भी ऐसा आएगा,
जब याद करोगे तुम। (अल्फ़ाज़ – ए – आकाश)एक दिन भी ऐसा आएगा,
जब याद करोगे तुम।
रोओगे तड़पोगे रब से,
फरियाद करोगे तुम।
मैं जो तेरे पास-पास,
तुम दूर- दूर रहते हो।
जब खो जाऊंगा फिर,
प्रयास करोगे तुम।
मेरे लब्ज़ों का तुमको,
एहसास नहीं है।
लगता है जैसे दिल,
तेरे पास नहीं है।
बीते लम्हों को भूल के भी,
जब याद करोगे तुम।
रोओगे तड़पोगे,
रब से फ़रियाद करोगे तुम
एक दिन भी ऐसा आएगा,
जब याद करोगे तुम।कोई ऐसा लम्हा होता.. (अल्फ़ाज़ – ए – आकाश)
कोई ऐसा लम्हा होता,
जो मैं तुझको याद न करता।
भूल के भी न भूल मैं पाया,
तुझसे की हुई कोई बातें।
कोई ऐसा लम्हा होता,
जो तेरे मैं ख्वाब न बुनता।
खो कर भी जो खो न पाया,
बीते उन लम्हों की यादें।
कोई ऐसा लम्हा होता,
जो तुझको मेरी याद सताती।
चांदनी रात में बैठे के जो संग,
हमने की थी प्यार की बातें।
कोई ऐसा लम्हा होता..
नए साल की पहली शाम। (अल्फ़ाज़ – ए – आकाश)
सोचा था इस साल ज़िंदगी,
जिएंगे हम बिंदास ज़िंदगी।
पर रब को ये मंज़ूर न था।
होने को कुछ और ही था।
उसकी नज़र मिली नज़रों से।
कुछ बोली नाज़ुक, अधरों से।
बस इतने में, जो न होना था।
हुआ वही, आख़िर जो होना था।
साल की पहली शाम न पूछो।
उस पगली का नाम न पूछो।
उसकी हसीं और उसकी बातें
हाय, कटेंगी कैसे रातें।
नए साल की पहली शाम।
चंचल मृग नैनी के नाम।
तेरे पल से निकल कर,
तेरा कल बन गया। (अल्फ़ाज़ – ए – आकाश)तेरे पल से निकल कर,
तेरा कल बन गया।
मैं मुसीबत था तेरा,
खुद ही हल बन गया।
तेरी राहों में शायद,
मैं घनी धूप था।
जो दे पैरों को शीतल,
वो जल बन गया।
क्या पता कब कहां,
फिर मुलाक़ात हो।
मैं न भूलूं तुझे,
और न तुझे याद हो।
मैं तो राह बदल,
रहगुज़र बन गया।
तेरे पल से निकल कर,
तेरा कल बन गया।
ये बात आख़िरी है। (अल्फ़ाज़ – ए – आकाश)
तेरी राहों में मैं पत्थर,
अब और नहीं बनना चाहूं।
तेरे सीने पर बन खंज्जर,
अब और नहीं रहना चाहूं।मैंने तो बिन सोचे समझे,
सिर्फ तुम्ही से प्यार किया।
पर तुम समझ सकी न मुझको,
रुसवा मुझको यार किया।
तेरी बंदिश की ए रहबर,
ये रात आख़िरी है।
ये बात आख़िरी है। ये बात आख़िरी है।
तुझको अब कोई नए बहाने,
नहीं बनाने होंगे,
बिन चाहत के, मुझसे चाहत..
नहीं जताने होंगे।
मैं तो समझा, तेरे दिल में,
नाम लिखा है मेरा,
तुझको लिख कर नाम मेरा,
अब नहीं मिटाने होंगे।
तुम खुश रहना, जहां भी रहना
मुलाक़ात आख़िरी है।ये बात आख़िरी है। ये बात आख़िरी है।
आख़िर मैं, उससे क्या कहूं.. (अल्फ़ाज़ – ए – आकाश)
जब समझ कर भी, नसमझ बने।
खुद से ही मुझको, अलग करे।
मैं लाख उसे समझायूं लेकिन,
समझे, फिर भी नसमझ बने।
आख़िर मैं, उससे क्या कहूं..
दस बात पर, बस एक शब्द कहे।
मैं रोता रहूं, वो बेशब्द रहे।
जब, मेरा उसको एहसास नहीं,
जब, उसके लिए मैं खास नहीं,
कह कर भी उससे, क्या करूं।आख़िर मैं, उससे क्या कहूं..
हमारे बीच अब क्या है.. (अल्फ़ाज़ – ए – आकाश)
कभी तुम फिक्र करती थी।
कभी कहती थी दिल की भी।
मगर अब याद भी मेरी,
नहीं आती कभी तुमको।
बता सकती हो क्या ये भी..
हमारे बीच अब क्या है ?
कभी बेचैन होती थी।
कभी बेताब होती थी।
मगर अब बेखबर सी हो,
मैं कितना भी तड़पता हूं
तुम जैसे बेअसर सी हो।
बता सकती हो क्या ये भी..
हमारे बीच अब क्या है?
ज़ुर्रत (अल्फ़ाज़ – ए – आकाश)
ऐसा नहीं की उसने धोखा देने की, ज़ुर्रत न की।
बस.. बदनाम न हो जाएं वो, इस बात से डरते हैं।
उन्हें तो शायद रास न आई मोहब्बत मेरी,
पर हम तो मोहब्ब्त उन्हीं से, आज भी करते हैं।।
चलो एक प्रयत्न करें। (अल्फ़ाज़ – ए – आकाश)
मेरी न समझी थी, वरना कोई, कैसे, कुछ कहता।
चलो आज मालूम हुआ, वरना ये बैर बना रहता।जिसको मैंने अपना समझा, वो ही मन में श्राप लिए,
ऊपर से वो कुछ भी कहता, पर मन ही मन सन्ताप लिए।
चलो दूर एकांत कहीं, बैठें, मन को हम शांत करें।
एक दूजे के मन में जो है, एक दूजे से बात करें।
हुई भूल गर जो भी उनसे, या जो भी शिकायत मेरे मन में,
आज गिरा कर दीवारों को, इन दोषों का अन्त करें।चलो एक प्रयत्न करें।
क्यूं सामने आता नहीं? (अल्फ़ाज़ – ए – आकाश)
क्यूं सामने आता नहीं?
प्यार करता है अगर,
तो क्यों वो कह पाता नहीं।
क्यूं सामने आता नहीं?
है मुझे अहसास उसकी,
अनकही हर बात का।
कोई क्यों देखा करे यूं,
बिन किसी भी बात का।
दूर छुप चुपचाप देखे,
पर वो कह पाता नहीं।
क्यूं सामने आता नहीं?
जब कभी मैं पास जाऊं,
दूर वो होने लगे।
प्यार है या, कुछ और है ये,
बेकरारी क्यों बढ़े।
बात है जो, पर बात क्या है
क्यूं वो रह पाता नहीं?
क्यूं सामने आता नहीं?
जज़्बा हो तो, सब कुछ मुमकिन है। (अल्फ़ाज़ – ए – आकाश)
फिर तेरा-मेरा मिलना क्या।
चट्टानों में राह हैं बनते,
मांझी तो नाम, सुना होगा।
जज़्बा ही था, जो तैरे पत्थर।
सेतु बना, समन्दर में।
सब कुछ आसां हो सकता है,
जज़्बा हो गर, अन्दर में।
क्यों तू इतना सोच रहा है।
क्यों डगमग-डगमग डोल रहा है।
जब दिल ने आख़िर ठान लिया है,
फिर अपनी जगह से हिलना क्या।
जज़्बा हो तो, सब कुछ मुमकिन है।
फिर तेरा-मेरा मिलना क्या।
आ बैठ मेरे पास (अल्फ़ाज़ – ए – आकाश)
आ बैठ मेरे पास, कुछ गुफ्तगू करलें।
मेरे हयात की ये, हाफ़िज़ा होगी।
यूं जान कर भी मुझको, तगाफुल न कीजिए।
लब से कहे इन लफ्ज़ को, तवज्जो तो दीजिए।
ऐ कलम मेरी, मेरे अल्फाज़ लिख दो। (अल्फ़ाज़ – ए – आकाश)
ऐ कलम मेरी, मेरे अल्फाज़ लिख दो।
दिल में दबी जो बात है, वो राज़ लिख दो।
कहने को हूं बेचैन, पर कैसे कहूं मैं..
अनकही वो बात, वो आवाज़ लिख दो।।जिंदगी का ग़म, उन टूटे दिलों को।
खुशियों का वो कल, उन बीते पलों को।
चाह में उसके जो थे सपने सजाए..
तन्हाई की रात की, वो बात लिख दो ।।दूर होकर पास का एहसास है जो।
वो मेरी है यह मेरा विश्वास है जो।
प्यार में खोकर भी पाने की वो हसरत..
ये मोहब्बत का मेरा अंदाज लिख दो ।।
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